साहित्यिक पत्र-पत्रिकाएँ
ज्ञान मानव को अन्तर्दृष्टि देता है, वह व्यक्ति या समाज में परिवर्तन का वाहक बनता है। पत्र-पत्रिकाएँ ज्ञान का भंडार होती हैं, इसलिए परिवर्तन में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है लगभग सभी धर्म उनके सहारे ही फैले हैं। बड़ी-बड़ी सामाजिक क्रांतियां भी पत्र-पत्रिकाओं ने ही करवायी है। व्यक्ति के जीवन में पत्र-पत्रिकाएँ अति महत्वपूर्ण परिवर्तन लाती हैं। क्योंकि इससे उपयोगी जानकारी करके व्यक्ति अधिक योग्य और जीवनयापन के लायक बन जाता है। यह सच है कि इनके पढ़ने से व्यक्तित्व का विकास होता है सिर्फ इसलिए नहीं कि पढ़ने वाले का ज्ञान बढ़ता है, बल्कि इसलिए भी कि पत्र-पत्रिकाओं में व्यक्तित्व निखार के नुस्खे मिल जाते हैं। पाश्चात्य देशों में तो व्यक्ति को आकर्षक बनाने के गुर सिखाने वाली पत्रिकाओं का अंबार सा मिलता है। साहित्यिक पत्र-पत्रिकाएँ सामाजिक व्यवस्था के लिए चतुर्थ स्तम्भ का कार्य करती हैं और अपनी बात को मनवाने के लिए एवं अपने पक्ष में साफ-सुथरा वातावरण तैयार करने में पत्र-पत्रिकाओं ने सदैव अमोघ अस्त्र का कार्य किया है। अमानवीय व्यवहार, अन्याय, अत्याचार, शोषण सा
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