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साहित्‍यिक पत्र-पत्रिकाएँ

ज्ञान मानव को अन्‍तर्दृष्‍टि देता है, वह व्‍यक्‍ति या समाज में परिवर्तन का वाहक बनता है। पत्र-पत्रिकाएँ ज्ञान का भंडार होती हैं, इसलिए परिवर्तन में उनकी भूमिका महत्‍वपूर्ण होती है लगभग सभी धर्म उनके सहारे ही फैले हैं। बड़ी-बड़ी सामाजिक क्रांतियां भी पत्र-पत्रिकाओं ने ही करवायी है। व्‍यक्‍ति के जीवन में पत्र-पत्रिकाएँ अति महत्‍वपूर्ण परिवर्तन लाती हैं। क्‍योंकि इससे उपयोगी जानकारी करके व्‍यक्‍ति अधिक योग्‍य और जीवनयापन के लायक बन जाता है। यह सच है कि इनके पढ़ने से व्‍यक्‍तित्‍व का विकास होता है सिर्फ इसलिए नहीं कि पढ़ने वाले का ज्ञान बढ़ता है, बल्‍कि इसलिए भी कि पत्र-पत्रिकाओं में व्‍यक्‍तित्‍व निखार के नुस्‍खे मिल जाते हैं। पाश्‍चात्‍य देशों में तो व्‍यक्‍ति को आकर्षक बनाने के गुर सिखाने वाली पत्रिकाओं का अंबार सा मिलता है। साहित्‍यिक पत्र-पत्रिकाएँ सामाजिक व्‍यवस्‍था के लिए चतुर्थ स्‍तम्‍भ का कार्य करती हैं और अपनी बात को मनवाने के लिए एवं अपने पक्ष में साफ-सुथरा वातावरण तैयार करने में पत्र-पत्रिकाओं ने सदैव अमोघ अस्‍त्र का कार्य किया है। अमानवीय व्‍यवहार, अन्‍याय, अत्‍याचार, शोषण सा

हिन्दी से सम्बन्धित प्रथम

यहाँ पर  हिन्दी  से सम्बन्धित सबसे पहले साहित्यकारों, पुस्तकों, स्थानों आदि के नाम दिये गये हैं। हिन्दी में प्रथम डी. लिट् -  डा. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल विज्ञान में शोधप्रबंध हिंदी में देने वाले प्रथम विद्यार्थी -  मुरली मनोहर जोशी अन्तरराष्ट्रीय संबन्ध पर अपना शोधप्रबंध लिखने वाले प्रथम व्यक्ति -  वेद प्रताप वैदिक हिंदी में बी.टेक. का प्रोजेक्ट रिपोर्ट प्रस्तुत करने वाले प्रथम विद्यार्थी : श्यामरूद्र पाठक (सन् १९८५) डॉक्टर आफ मेडिसिन (एमडी) की शोधप्रबन्ध पहली बार हिन्दी में प्रस्तुत करने वाले - डॉ० मुनीश्वर गुप्त (सन् १९८७) हिन्दी माध्यम से एल-एल०एम० उत्तीर्ण करने वाला देश का प्रथम विद्यार्थी - चन्द्रशेखर उपाध्याय प्रबंधन  क्षेत्र में हिन्दी माध्यम से प्रथम  शोध-प्रबंध  के लेखक -  भानु प्रताप सिंह (पत्रकार)  ; विषय था -  उत्तर प्रदेश प्रशासन में मानव संसाधन की उन्नत प्रवत्तियों का एक विश्लेषणात्मक अध्ययन- आगरा मंडल के संदर्भ में हिन्दी का पहला इंजीनियर कवि - मदन वात्स्यायन हिन्दी में निर्णय देने वाला पहला न्यायधीश -- न्यायमूर्ति श्री  प्रेम शंकर गुप्त सेंट्रल लेजिस्लेट

लतीफे

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पति (पत्नी से) - फिर वही बैंगन, तुम्हें शायद मालूम नहीं कि ज्यादा बैंगन खाने से आदमी अगले जन्म में गधा बनता है। पत्नी (पति से) - यह बात तो तुम्हें पिछले जन्म में सोचनी चाहिए थी। सेठ जी (नौकर से): इस दुकान में अगर काम करना है तो एक बात हमेशा याद रखनी होगी कि ग्राहक हमेशा ठीक बोलता है। अब बताओ वह युवती क्या कह रही थी? नौकर (सेठ से): वह कह रही थी कि इस दुकान का मालिक गधा है। अध्यापक (छात्र से)- बाबर भारत में कब आया? छात्र (अध्यापक से)- पता नही सर। अध्यापक- बोर्ड पर नही देख सकते, नाम के साथ ही लिखा है। छात्र- मैंने सोचा, शायद वह उसका फोन नम्बर है। एक महिला (थर्मामीटर गलत पढ़कर फोन पर): डॉक्टर साहब, कृपया जल्दी आइए। मेरे पति को टेम्परेचर 120 है। डॉक्टर: अगर ऐसा है तो फिर मेरा काम नहीं! आप फायर ब्रिगेड को फोन कीजिए। टीचर (छात्र से) - तुम स्कूल लेट क्यों आए? छात्र (टीचर से) - सड़क पर एक आदमी का नोट गुम हो गया था। टीचर - तो तुम उसकी मदद कर रहे थे। छात्र - नहीं, मैं वहां से उसके जाने का इंतजार कर रहा था। नोट मेरे पैरों के नीचे जो था। शिक्षक (राजू से)- तुम इतिहास में काफी कमजोर हो। कल अपने पापा

हंसगुल्ले

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पति पत्नी मे झगडा हो रहा था, पति ने चीख कर कहा "तुमने मुझे कुत्ता समझ रखा है क्या? " "बिल्कुल नहीं, लेकिन भगवान् के लिए भोंकना बंद करो" पत्नी ने जबाब दिया पति पत्नी के बीच झगडा होने के बाद, पत्नी ने फ़ोन पर अपनी माँ को सारा किस्सा बताया, रोते हुए उसने कहा "माँ मैं आपके पास आ रही हूँ" "बेटी तुम यहाँ आ गयीं तो उसे अपने किए की सजा कैसे मिलेगी, तुम वहीं ठहरो मैं तुम्हारे पास आती हूँ" माँ ने सलाह दी

हंसगुल्ले

एक बार एक रेलगाड़ी सुनसान इलाके से रात को जा रही थी। जिसमें जीतू भैया और पंडित जी सफर कर रहे थे। अचानक जोर का ब्रेक लगा और गाड़ी रुक गई। पंडित जी ने कहा भैया लगता है गाड़ी का टायर पँक्चर हो गया है। जीतू भैया बोले मैं देख कर आता हूँ। जीतू नीचे उतरे और दौड़ कर वापस आये अरे पंडित जी कोई गाड़ी के सारे टायर ही चुरा कर ले गया। "अरे भग्वान ने 6 दिन मे सारी दुनिया बना डाली और तुम्हे एक कोट बनाने मे पूरा महीना लग रहा है" ग्राहक ने दर्जी से शिकायत की ! "इसिलिये तो कह रहा हु, जल्दी का काम ठीक नहीं होता, दुनिया की हालत तो आप देख ही रहे हैं " दर्जी ने अपनी सफाई दी एक फार्म के मलिंक ने अपने एक कर्मचारी से कहा, "तुमने हमारी फर्म मे काफी म्हणत और लगन से काम किया है इसीलिए इनाम के तौर पर मैं तुम्हे एक हज़ार रूपये का चेक दे रहा हूँ अगर तुम इसी तरह काम करते रहे टू अगले साल मैं इस चेक पर साइन भी कर दूंगा गजोधर सोने का कप उठाये हांफता हुआ घर पहुँचा और कप बीबी को थमा कर धम्म से सोफे पर गिर गया बीबी ने खुश होकर पूछा "दौड़ मे कितने आदमी थे?" "सिर्फ़ ३, सबसे आगे मैं और उसके ब

लाइनमैन संता

संतासिंह ट्रेन के लाइनमैन की नौकरी के लिए इन्टरव्यू देने गया। उससे पूछा गया: इन्टरव्यूवर : संतासिंह मान लो तुम्हे पता चलता है कि तुम्हारे ट्रेक पर दो रेलगाडियां विपरीत दिशा से आ रही है और उनमे टक्कर होने वाली है तो तुम क्या करोगे? संतासिंह: मै किसी एक ट्रेन को दूसरी लाइन पर स्विच कर दूंगा। इन्टरव्यूवर : अगर लीवर काम नही कर रहा हो तो? संतासिंह: तो मै हाथ से लीवर को खींचने की कोशिश करूंगा। इन्टरव्यूवर :अगर वो भी काम नही किया तो? संतासिंह: मै दोनो तरफ़ के स्टेशन मास्टर को खबर करूंगा। इन्टरव्यूवर :अगर फोन भी काम नही कर रहा हो तो? संतासिंह: मै लाल कपड़ा लेकर ट्रेक पर खड़ा हो जाऊंगा। इन्टरव्यूवर : अगर उस समय कोई लाल कपड़ा नही मिला तो? संतासिंह: फिर मै अपनी बीबी प्रीतो, को बुलाऊंगा। इन्टरव्यूवर :क्यों क्या वो कोई इन्जीनियर है? संतासिंह: नही, उसने कभी रेलगाड़ियों की टक्कर नही देखी ना। बांकेलाल (प्यारेलाल से)- यार मैं सोचता था कि इस दुनिया में सिर्फ मैं ही उल्लू हूं। प्यारेलाल (बांकेलाल से)- क्यों क्या हुआ? बांकेलाल (प्यारेलाल से)- कल मैंने अपनी पत्नी को कश्मीरी सेब लाने को कहा था। प्यारेलाल (बांकेल

संता और बंता अमेरिका में

बंता अमेरिका गया था। एक दिन वह वहां के एक किराने दुकान में गया। जरूरत की सारी चीजें चुनकर वह काउंटर पर आया। वहां खड़े कर्मचारी ने बिल बनाकर उसकी तरफ बढ़ा दिया। मगर बंता उनसे ‘फैट’मांगने लगा,“मेरा‘फैट’कहां है?”कर्मचारी उसकी बात समझ नहीं रहे थे। अंत में बंता चीखने-चिल्लाने लगा। उसकी चिल्लाहट सुनकर दुकान में खड़े सभी लोग वहां जुट गए। दुकान का मैनेजर भी बंता के पास आ गया। मैनेजर को देखते ही बंता ने चीखते हुए कहा,“ओए मैनेजर, मैंने यह दही खरीदा है। इसके ऊपर लिखा है ‘फैट फ्री’, अब बताओ तुम्हारे लोग मुझे फैट नहीं दे रहे हैं।” बंता फोटोग्राफी का काम करता था। एक बार एक राष्ट्रीय पत्रिका ने उसे जंगल में लगी आग की तस्वीरें लेने का काम सौंपा। उसे बताया गया कि उसके लिए एक छोटा विमान इंतजार कर रहा होगा। उसी पर से उसे आग की तस्वीरें लेनी है। बंता नियत समय से एक घंटा पूर्व ही हवाई अड्डा पहुंच गया। सचमुच वहां एक छोटा विमान खड़ा था। वह अपने कैमरे के साथ विमान में उछल कर बैठ गया और पायलट से उड़ने को कहा। पायलट की सीट पर बैठा व्यक्ति परेशान सा दिख रहा था। बंता के कहने पर उसने विमान को हवा में उड़ा दिया। विमान डग

संता और बंता के चुटकुले

संता लड़खड़ाता हुआ एक बियर बार में पहुंचा। किसी तरह उसने अपने आप को सम्भालकर कुर्सी पर टिकाया। डकार लगाते हुए उसने बैरे से शराब लाने को कहा। इस पर बैरे ने विनम्रतापूर्वक उससे कहा, “सर आप पहले ही काफी पी चुके हैं, अब मैं आपको और नहीं दे सकता, हां पर आपके लिए टैक्सी का इंतजाम जरूर कर सकता हूं।” संता कुछ बुदबुदाया और वहां से बाहर चला गया। थोड़ी देर बाद संता फिर लड़खड़ाता हुआ दूसरे दरवाजे से, उसी बार में आया। कुर्सी पर बैठकर फिर शराब मांगी। इस बार बैरे ने संता को शराब देने से स्पष्ट रूप से मना कर दिया। संता कुछ और हैरान हुआ और बुदबुदाने लगा। वह फिर लड़खड़ाता हुआ वहां से बाहर निकल गया। इस बार संता पीछे के दरवाजे से बार में प्रवेश किया और कुर्सी पर बैठ गया। फिर वही बैरा आया और कुछ कड़े शब्दों में कहा, “सर आप बहुत पी चुके हैं। मैंने आपको समझाया पर आप बात मानने वाले नहीं। अब मैं पुलिस को बुलाऊंगा।” संता इस बार निराश हो गया था। उसने बैरे से पूछा, “जिस-जिस बार में गया, तुम ही मिले। यह बताओ तुम एक साथ कितनी जगह काम करते हो? बंता अपने बेटे के साथ मछली पकड़ने के लिए नदी में गया। बोट में बैठे-बैठे दो घंटे हो

संता बंता

बंता हेलीकॉप्टर उड़ाने का प्रशिक्षण लेने गया। पहले दिन ही वह हेलिकॉप्टर उड़ाना चाह रहा था। प्रशिक्षक ने उसकी जिद पर उसे हेलिकॉप्टर उड़ाने की इजाजत दे दी। उसने रेडियो पर उसे कुछ जरूरी सूचना दी और उड़ान की कुछ प्रक्रिया के बारे में बताया। बंता का हेलिकॉप्टर हवा में उठने लगा। 1,000 फीट की ऊंचाई पर उसने रेडियो पर सूचना भेजी कि उसे बहुत अच्छा लग रहा है और वह हेलिकॉप्टर बहुत अच्छी तरह से उड़ा रहा है। कुछ ही मिनट में बंता का हेलिकॉप्टर 3,000 फीट की ऊंचाई पर जा पहुंचा। अचानक तभी हेलिकॉप्टर लड़खड़ाता हुआ नीचे की तरफ आने लगा। हेलिकॉप्टर को गिरता देख प्रशिक्षक बहुत डर गया। हेलिकॉप्टर नीचे आ गिरा। प्रशिक्षक दौड़कर हेलिकॉप्टर के मलबे के पास पहुंचा और किसी तरह बंता को बाहर निकाला। बंता होश में था। उसने बंता से पूछा कि आखिर हुआ क्या था? वह अच्छा उड़ा रहा था। बंता ने जवाब दिया, “मुझे भी कुछ पता नहीं। सब कुछ बढ़िया था। फिर मुझे ठंड लगने लगी और मैने अपने ऊपर का बड़ा पंखा बंद कर दिया।” संता और बंता रात के खाने के लिए बाहर गए। रेस्त्रां में बैठ कर बेयरे से उन्होंने दो पैग शराब लाने को कहा। जब तक बेयरा शराब लेकर आता,

शराब खाने मे

संता शराबखाने में बैठा हुआ कुछ सोच रहा था। तभी उसे एक कोने में एक जादुई चिराग दिखाई पड़ा। वह चिराग के पास गया और उसे हिलाकर देखने लगा।उस चिराग से एक जिन्न निकला। उसने संता से उसकी किसी तीन ख्वाहिशों के बारे में पूछा। संता ने कुछ देर सोचा फिर बोला, “मैं ऐसी शराब चाहता हूं जो कभी खत्म न हो।”जिन्न ने हवा में हाथ लहराया। संता की मेज पर शराब से भरी बोतल आ गई। संता ने आजमाना चाहा। उसने बोतल की सारी शराब पी ली। लेकिन बोतल खाली नहीं हुई, वह पहले की तरह ही भरी रही।तब जिन्न ने उससे उसकी दूसरी और तीसरी ख्वाहिशों के बारे में पूछा। संता ने कुछ सोचकर कहा, “शराब की ऐसी दो और बोतलें आ जाएं।” संता और उसकी पत्नी जीतो काफी खुश थे। काफी लम्बे समय के इंतजार के बाद उन्हें गोद लेने के लिए एक बच्चा मिल पाया था। बच्चों के देखभाल केंद्र के व्यवस्थापक ने उन्हें बुलाकर कहा कि उनके पास एक तमिल बच्चा आया है। वे दोनों बच्चे को ले जा सकते है।बच्चे को लेकर दोनो खुशी-खुशी घर लौट रहे थे। रास्ते में वे दोनो एक रात्रि कॉलेज में दाखिला लेने पहुंचे। दाखिले के कागजातों को भर लेने के

संता और बंता के किस्से 1

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संता और बंता के किस्से 2

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संता और बंता के किस्से 3

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हंसते हँसाते

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